Pearl millet- Origin, geographical distribution, economic importance, soil and climatic requirements, varieties, cultural practices and yield
Pearl millet- Origin, geographical distribution, economic importance, soil and climatic requirements, varieties, cultural practices and yield (बाजरा- उत्पत्ति, भौगोलिक वितरण, आर्थिक महत्व, मिट्टी और जलवायु आवश्यकताएं, किस्में, कृषि पद्धतियाँ और उपज):- Pearl millet, also known as "bajra" in India, is a hardy cereal crop grown for its grain and fodder. Here's a detailed overview of its aspects:
(बाजरा, जिसे भारत में "बाजरा" के नाम से जाना जाता है, एक कठोर अनाज की फसल है जिसे इसके दाने और चारे के लिए उगाया जाता है। यहां इसके विभिन्न पहलुओं का विस्तृत विवरण दिया गया है:)
1. Origin (उत्पत्ति):-
i. Botanical Name (वानस्पतिक नाम):- Pennisetum glaucum
ii. Family (कुल):- Poaceae (Gramineae).
iii. Origin (उत्पत्ति):- Pearl millet is believed to have originated in the Sahel region of Africa, particularly in the areas covering modern-day Sudan and Chad. It was domesticated around 3,000–4,000 years ago. From Africa, it spread to the Indian subcontinent and other parts of Asia.
(बाजरा के अफ्रीका के साहेल क्षेत्र, विशेष रूप से आधुनिक सूडान और चाड क्षेत्रों में उत्पन्न होने का विश्वास है। इसे लगभग 3,000–4,000 साल पहले पालतू बनाया गया था। अफ्रीका से, यह भारतीय उपमहाद्वीप और एशिया के अन्य हिस्सों में फैला।)
2. Geographical Distribution (भौगोलिक वितरण):- Pearl millet is widely cultivated in:
(बाजरा की व्यापक रूप से खेती की जाती है:)
i. Africa (अफ्रीका):- Particularly in the Sahelian and Sub-Saharan regions.
(विशेष रूप से साहेलियन और उप-सहारा क्षेत्रों में।)
ii. India (भारत):- Especially in Rajasthan, Gujarat, Maharashtra, Uttar Pradesh, and Haryana.
(विशेष रूप से राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, और हरियाणा में।)
iii. Asia (एशिया):- Pakistan, Myanmar, and parts of Southeast Asia.
(पाकिस्तान, म्यांमार और दक्षिण-पूर्व एशिया के कुछ हिस्सों में।)
iv. Americas (अमेरिका):- Some cultivation in the southern United States, Brazil, and Argentina.
(संयुक्त राज्य अमेरिका के दक्षिणी हिस्सों, ब्राजील और अर्जेंटीना में कुछ खेती।)
v. Australia (ऑस्ट्रेलिया):- Cultivated in regions with similar climates to Africa and India.
(अफ्रीका और भारत जैसी जलवायु वाले क्षेत्रों में खेती की जाती है।)
3. Economic Importance (आर्थिक महत्त्व):-
i. Food Source (खाद्य स्रोत):- Pearl millet is a staple food in parts of Africa and India, used to make bread, porridge, and traditional dishes.
(बाजरा अफ्रीका और भारत के कुछ हिस्सों में मुख्य खाद्य पदार्थ है, जिसका उपयोग रोटी, दलिया और पारंपरिक व्यंजन बनाने में किया जाता है।)
ii. Fodder (चारा):- The crop is a significant source of animal feed, especially in arid regions.
(यह फसल, विशेष रूप से शुष्क क्षेत्रों में, पशुओं के लिए महत्वपूर्ण चारे का स्रोत है।)
iii. Nutritional Value (पोषण मूल्य):- High in protein, fiber, and essential minerals like iron and zinc, making it an important crop for addressing nutritional deficiencies.
(इसमें प्रोटीन, फाइबर और आवश्यक खनिज जैसे लोहे और जिंक की उच्च मात्रा होती है, जिससे यह पोषण संबंधी कमियों को दूर करने के लिए महत्वपूर्ण फसल है।)
iv. Drought Resistance (सूखा सहनशीलता):- Its ability to thrive in harsh, arid environments makes it a crucial crop for food security in regions prone to drought.
(कठोर, शुष्क वातावरण में पनपने की इसकी क्षमता इसे उन क्षेत्रों में खाद्य सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण फसल बनाती है जहां सूखा पड़ने की संभावना होती है।)
4. Soil and Climatic Requirements (मिट्टी और जलवायु की आवश्यकताएँ):-
i. Soil (मिट्टी):- Pearl millet grows best in well-drained sandy loam soils but can tolerate poor soils, including acidic and saline conditions. It does well in soils with a pH of 5.5 to 7.5.
(बाजरा अच्छी तरह से जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी में सबसे अच्छा बढ़ता है, लेकिन यह खराब मिट्टी, जिसमें अम्लीय और क्षारीय स्थितियां भी शामिल हैं, को सहन कर सकता है। यह 5.5 से 7.5 के pH वाली मिट्टी में अच्छा करता है।)
ii. Climate (जलवायु):- The crop is highly drought-resistant and thrives in hot, dry climates. It requires temperatures between 20°C and 30°C, though it can survive in temperatures up to 45°C. Rainfall requirements are low, with the crop doing well in areas receiving 300–600 mm of annual rainfall.
(यह फसल अत्यधिक सूखा-सहिष्णु है और गर्म, शुष्क जलवायु में पनपती है। इसे 20°C से 30°C के बीच तापमान की आवश्यकता होती है, हालांकि यह 45°C तक के तापमान में जीवित रह सकती है। वार्षिक वर्षा की आवश्यकता कम होती है, यह फसल उन क्षेत्रों में अच्छा करती है जहां 300-600 मिमी वार्षिक वर्षा होती है।)
5. Varieties (किस्में):- Some popular varieties of pearl millet include:
(बाजरा की कुछ लोकप्रिय किस्में हैं:)
i. Hybrid Varieties (संकर किस्में):- HHB 67 Improved, GHB 538, RHB 173.
ii. Open-Pollinated Varieties (मुक्त परागित किस्में):- ICTP 8203, Pusa 23, ICMV 221.
iii. Composite Varieties (समिश्र किस्में):- Pusa Composite 443, Shanti (MP 124).
Note (नोट):- These varieties are selected based on factors like yield potential, disease resistance, and adaptability to local environmental conditions.
(इन किस्मों का चयन पैदावार क्षमता, रोग प्रतिरोधकता, और स्थानीय पर्यावरणीय स्थितियों के अनुकूलता जैसे कारकों के आधार पर किया जाता है।)
6. Cultural Practices (कृषि पद्धतियाँ):-
i. Land Preparation (भूमि की तैयारी):- The soil should be plowed and leveled to a fine tilth. Harrowing is recommended to break up clods.
(मिट्टी को जुताई कर और समतल कर एक अच्छा खेत तैयार किया जाना चाहिए। मिट्टी के ढेलों को तोड़ने के लिए हेरोइंग की सिफारिश की जाती है।)
ii. Sowing (बुआई):- Sowing is typically done at the onset of the monsoon in India, either through broadcasting or drilling. The recommended seed rate is 4-5 kg/ha for hybrids and 5-7 kg/ha for open-pollinated varieties.
(भारत में मानसून के आगमन के साथ आमतौर पर बुआई की जाती है, या तो छिड़काव या ड्रिलिंग द्वारा। संकर के लिए अनुशंसित बीज दर 4-5 किलोग्राम/हेक्टेयर और खुली परागण वाली किस्मों के लिए 5-7 किलोग्राम/हेक्टेयर होती है।)
iii. Spacing (अंतराल):- The crop is usually spaced 45 cm apart between rows and 10-15 cm between plants within rows.
(आमतौर पर फसल के बीच की दूरी 45 सेमी और पौधों के बीच 10-15 सेमी होती है।)
iv. Fertilization (उर्वरक):- A balanced application of nitrogen, phosphorus, and potassium (NPK) is recommended. Typically, 40-60 kg of nitrogen, 20-30 kg of phosphorus, and 20 kg of potassium per hectare are applied.
[नाइट्रोजन, फास्फोरस, और पोटैशियम (NPK) का संतुलित अनुप्रयोग अनुशंसित है। सामान्यतया, 40-60 किलोग्राम नाइट्रोजन, 20-30 किलोग्राम फास्फोरस, और 20 किलोग्राम पोटैशियम प्रति हेक्टेयर लगाया जाता है।]
v. Weeding (निराई):- The crop requires at least one or two weedings during the early stages of growth, particularly around 20-25 days after sowing.
(फसल को विकास के शुरुआती चरणों के दौरान कम से कम एक या दो बार निराई की आवश्यकता होती है, विशेष रूप से बुआई के 20-25 दिनों के बाद।)
vi. Irrigation (सिंचाई):- Although drought-resistant, pearl millet may require supplemental irrigation during prolonged dry spells, particularly during the critical flowering and grain-filling stages.
(यद्यपि बाजरा सूखा-सहिष्णु है, लंबे समय तक शुष्क मौसम के दौरान, विशेष रूप से फूलने और दाने भरने के महत्वपूर्ण चरणों में इसे पूरक सिंचाई की आवश्यकता हो सकती है।)
vii. Pest and Disease Management (कीट और रोग प्रबंधन):- Common pests include shoot flies and stem borers, while downy mildew is a significant disease. Integrated pest management (IPM) practices are recommended.
[आम कीटों में शूट फ्लाई और तना बोरर शामिल हैं, जबकि डाउनी मिल्ड्यू एक महत्वपूर्ण रोग है। समेकित कीट प्रबंधन (IPM) प्रथाओं की सिफारिश की जाती है।]
7. Yield (उपज):-
i. Grain Yield (अनाज की पैदावार):- Depending on the variety and cultural practices, pearl millet yields can range from 1,200 to 2,500 kg per hectare for open-pollinated varieties and up to 3,000-4,500 kg per hectare for hybrids.
(किस्म और संवर्धन प्रथाओं के आधार पर, मुक्त परागण वाली क़िस्मों के लिए बाजरे की पैदावार 1,200 से 2,500 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर और संकर के लिए 3,000-4,500 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तक हो सकती है।)
ii. Fodder Yield (चारे की उपज):- The crop also produces a significant amount of biomass, with fodder yields ranging from 5,000 to 10,000 kg per hectare.
(फसल से काफी मात्रा में जैवभार भी प्राप्त होता है, जिसमें चारे की पैदावार 5,000 से 10,000 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तक होती है।)
Note (नोट):- Pearl millet remains a vital crop for food security and livestock feed, particularly in regions facing challenges like drought and poor soil fertility.
(बाजरा, विशेष रूप से सूखे और खराब मिट्टी की उर्वरता वाले क्षेत्रों में खाद्य सुरक्षा और पशु चारे के लिए एक महत्वपूर्ण फसल बनी हुई है।)
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