Polyphagous insect pest: Locust

Polyphagous insect pest: Locust (बहुभक्षी कीट पीड़क: टिड्डियाँ):- Locusts are infamous polyphagous insect pests, which means they can feed on a wide variety of plants. In India, locust swarms, particularly desert locusts, have caused significant agricultural damage. The most common species of locust found in India is the Desert Locust.
(टिड्डियाँ कुख्यात बहुभक्षी कीट पीड़क हैं, जिसका अर्थ है कि वे विभिन्न प्रकार के पौधों को खा सकते हैं। भारत में, टिड्डियों के झुंड, विशेष रूप से रेगिस्तानी टिड्डियों ने महत्वपूर्ण कृषि क्षति पहुंचाई है। भारत में सबसे आम टिड्डी प्रजाति रेगिस्तानी लोकस्ट है।)
Introduction (परिचय):-
Scientific name (वैज्ञानिक नाम):- Schistocerca gregaria. ((शिस्टोसर्का ग्रेगेरिया))
Order (गण):- Orthoptera (ऑर्थोप्टेरा)
Family (कुल):- Acrididae (एक्रिडिडी)

Distribution (वितरण):- 
> The desert locust is primarily found in desert and semi-desert regions. Its native habitat spans from West Africa through the Arabian Peninsula, North Africa, South Asia, and extends into India.
(रेगिस्तानी लोकस्ट मुख्य रूप से रेगिस्तानी और अर्ध-रेगिस्तानी क्षेत्रों में पाए जाते हैं। इनका प्राकृतिक आवास पश्चिम अफ्रीका से लेकर अरब प्रायद्वीप, उत्तरी अफ्रीका, दक्षिण एशिया तक फैला हुआ है और यह भारत तक विस्तारित होता है।)
> In India, locust infestations are most common in Rajasthan, Gujarat, Punjab, Haryana, and sometimes they migrate to Madhya Pradesh, Maharashtra, and Uttar Pradesh.
(भारत में टिड्डी प्रकोप सबसे अधिक राजस्थान, गुजरात, पंजाब, हरियाणा में होता है, और कभी-कभी यह मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश तक फैल जाता है।)

Identification (पहचान):-
Adult Locust (वयस्क टिड्डी):- Typically 60–75 mm in length, yellow to brown in color (females are larger than males). Wings are transparent with blackish spots.
[सामान्यतः 60-75 मिमी लंबी होती है, पीले से भूरे रंग की (मादा नर से बड़ी होती है)। पंख पारदर्शी होते हैं जिनमें काले धब्बे होते हैं।]
Nymphs (wingless) [निंफ (पंखरहित)]:- Brownish to green depending on the stage and habitat.
(पंखविहीन होती है और अवस्था व आवास के आधार पर भूरे या हरे रंग की होती है।)
Swarming behavior (झुंड व्यवहार):- They move in large groups, flying during the day and resting at night.
(यह बड़े समूहों में चलती हैं, दिन में उड़ती हैं और रात में आराम करती हैं।)

Host Range and Nature of Damage (परपोषी परास और क्षति का प्रकार):-
Host range (परपोषी परास):- Locusts are highly polyphagous, feeding on nearly all kinds of green vegetation. They attack crops such as millets, wheat, rice, maize, sorghum, cotton, vegetables, pulses, and fruit trees.
(टिड्डी अत्यधिक बहुपोषी होती हैं, जो लगभग सभी प्रकार की हरी वनस्पति पर आक्रमण करती हैं। यह बाजरा, गेहूं, धान, मक्का, ज्वार, कपास, सब्जियां, दालें और फलों के पेड़ जैसी फसलों पर हमला करती हैं।)
Nature of damage (क्षति का प्रकार):- Locusts consume both green foliage and soft parts of plants, leaving a trail of destruction. They can devour almost all parts of a plant, including leaves, flowers, fruits, seeds, and even the bark of tender plants. A large locust swarm can destroy crops rapidly, leading to significant agricultural losses and economic impacts.
(टिड्डी हरी पत्तियों और पौधों के कोमल हिस्सों को खा जाती हैं, जिससे फसल में भारी विनाश होता है। यह पौधे की पत्तियों, पुष्प, फल, बीज और यहां तक कि कोमल तनों को भी खा जाती है। एक बड़ा टिड्डी झुंड फसलों को जल्दी से नष्ट कर सकता है, जिससे बड़े पैमाने पर कृषि नुकसान और आर्थिक प्रभाव पड़ते हैं।)

Biology and Bionomics (जीवविज्ञान और जीवनचक्र):-
Life cycle (जीवनचक्र):- Locusts go through several stages:
(टिड्डी के जीवनचक्र में कई अवस्थाएँ होती हैं:)
i. Egg (अंडा):- Laid in sandy soil in pods of around 95 eggs.
(रेतीली मृदा में लगभग 95 अंडों के समूह में अंडे दिए जाते हैं।)
ii. Nymph (Hopper) [निंफ (हॉपर)]:- After hatching, locusts are wingless nymphs (hoppers). Hoppers go through multiple stages (instars) over a period of 30-40 days.
[अंडे से निकलने के बाद टिड्डी पंखविहीन होती है जिसे निम्फ या हॉपर्स कहते हैं। हॉपर्स 30-40 दिनों में कई अवस्थाओं (इंस्टार) से गुजरती हैं।]
iii. Adult (वयस्क):- After the last molt, they develop wings and become capable of flying. Adults form swarms that can migrate over vast distances.
(अंतिम मोल्ट के बाद यह पंख विकसित करती हैं और उड़ने योग्य हो जाती हैं। वयस्क टिड्डी झुंड बनाकर दूर-दूर तक प्रवास करती हैं।)


Favorable conditions (अनुकूल परिस्थितियाँ):- Warm temperatures and rainfall stimulate breeding. They are known to breed in three generations annually if conditions allow.
(गर्म तापमान और वर्षा जनन को प्रोत्साहित करती हैं। अनुकूल परिस्थितियों में यह वर्ष में तीन पीढ़ियों तक जनन करती हैं।)
Behavior (व्यवहार):- Locusts exhibit solitary and gregarious phases. During the gregarious phase, they form swarms, which are more destructive and cover large areas.
(टिड्डी एकाकी और सामूहिक प्रावस्थाओं में होती हैं। सामूहिक प्रावस्था में यह झुंड बनाती हैं, जो अधिक विनाशकारी होते हैं और बड़े क्षेत्रों को कवर करती हैं।)

Management of Locusts (टिड्डी प्रबंधन):- Locust control has been a critical issue in India, especially in states like Rajasthan and Gujarat. 
(भारत में, विशेष रूप से राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों में, टिड्डी नियंत्रण एक महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है।)
i. Monitoring and Forecasting (निगरानी और पूर्वानुमान):-
Surveillance (निगरानी):- Constant monitoring of locust movements and breeding sites is essential. India has a Locust Warning Organization (LWO) under the Directorate of Plant Protection, Quarantine, and Storage. The LWO conducts surveys and provides early warnings.
[टिड्डी की गतिविधियों और जनन स्थलों की निरंतर निगरानी आवश्यक है। भारत में टिड्डी चेतावनी संगठन (LWO), जो कि पादप संरक्षण, संगरोध और भंडारण निदेशालय के अंतर्गत आता है, निगरानी करता है और पूर्व चेतावनी देता है।]
Forecasting (पूर्वानुमान):- Forecasting models are used to predict locust movement and breeding cycles.
(टिड्डी के गतिविधि और जनन चक्रों का पूर्वानुमान लगाने के लिए मॉडल का उपयोग किया जाता है।)
ii. Chemical Control (रासायनिक नियंत्रण):-
Insecticides (कीटनाशक):- Locust control primarily involves the use of organophosphate insecticides such as Malathion, Fenitrothion, and Chlorpyrifos. These are applied by aerial spraying, ground vehicles, or even hand-held devices.
(टिड्डी नियंत्रण मुख्य रूप से ऑर्गेनोफॉस्फेट कीटनाशकों जैसे मैलाथियॉन, फेनीट्रोथायोन और क्लोरोपायरीफोस के उपयोग पर निर्भर करता है। इन्हें हवाई छिड़काव, जमीनी वाहनों, या हाथ से उपकरणों द्वारा दिया जाता है।)
Biopesticides (जैविक कीटनाशक):- Biopesticides like Metarhizium anisopliae (a fungus that affects locusts) have been tested for locust control in some areas. However, chemical methods remain dominant.
[टिड्डी नियंत्रण के लिए Metarhizium anisopliae (एक कवक जो टिड्डी को प्रभावित करता है) जैसे जैविक कीटनाशकों का परीक्षण किया गया है। हालांकि, रासायनिक विधियाँ अभी भी प्रभावी हैं।]
iii. Mechanical Control (यांत्रिक नियंत्रण):- Manual and mechanical control methods are employed in localized settings. Techniques such as digging pits and trapping hopper bands are used to manage smaller infestations.
(छोटे स्तर के प्रकोप में मैन्युअल और यांत्रिक नियंत्रण विधियों का उपयोग किया जाता है। हॉपर्स को गड्ढों में पकड़ने और नष्ट करने जैसी तकनीकों का उपयोग किया जाता है।)
iv. Biological Control (जैविक नियंत्रण):- Biological control efforts focus on natural predators of locusts, like birds, lizards, and spiders. However, these methods are not highly effective against large swarms.
(जैविक नियंत्रण प्रयासों का ध्यान टिड्डी के प्राकृतिक शिकारियों जैसे पक्षी, छिपकली, और मकड़ियों पर होता है। हालांकि, बड़े झुंडों के खिलाफ ये विधियाँ बहुत प्रभावी नहीं हैं।)
v. Cultural Control (सांस्कृतिक नियंत्रण):- Plowing infested areas to destroy locust egg pods can help prevent large swarms. Efforts are also made to avoid creating conditions conducive to breeding, like maintaining dry conditions in potential breeding grounds.
(टिड्डी के अंडे वाले क्षेत्रों में जुताई करके अंडों को नष्ट करना बड़े झुंडों को रोकने में सहायक होता है। जनन के लिए अनुकूल परिस्थितियों को रोकने के लिए उपाय किए जाते हैं, जैसे संभावित जनन स्थलों में सूखी परिस्थितियाँ बनाए रखना।)
vi. International Cooperation (अंतर्राष्ट्रीय सहयोग):- Locust swarms often cross national borders, so international cooperation is crucial. The FAO (Food and Agriculture Organization) leads global efforts in coordinating locust control in affected regions, including India, Pakistan, and countries in Africa and the Middle East.
[टिड्डी के झुंड अक्सर राष्ट्रीय सीमाओं को पार करते हैं, इसलिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग महत्वपूर्ण होता है। FAO (खाद्य और कृषि संगठन) प्रभावित क्षेत्रों, जिनमें भारत, पाकिस्तान और अफ्रीका और मध्य पूर्व के देश शामिल हैं, में टिड्डी नियंत्रण का समन्वय करने के लिए वैश्विक प्रयासों का नेतृत्व करता है।]

Conclusion (निष्कर्ष):- Effective locust management in India requires a combination of surveillance, early warning systems, and chemical controls. While progress has been made, climate change and environmental shifts may increase the frequency and severity of locust swarms, necessitating further innovation in sustainable control methods.
(भारत में प्रभावी टिड्डी प्रबंधन के लिए निगरानी, पूर्व चेतावनी प्रणाली, और रासायनिक नियंत्रण का संयोजन आवश्यक है। जबकि इसमें कुछ प्रगति हुई है, जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय बदलाव टिड्डी के झुंडों की आवृत्ति और गंभीरता को बढ़ा सकते हैं, जिससे स्थायी नियंत्रण विधियों में और अधिक नवाचार की आवश्यकता होगी।)

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