Role of livestock in the national economy
Role of livestock in the national economy (राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में पशुधन की भूमिका):- Livestock plays a crucial role in India's national economy, contributing significantly to agriculture, rural livelihoods, and food security.
(भारत की राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में पशुधन की महत्वपूर्ण भूमिका है, जो कृषि, ग्रामीण आजीविका और खाद्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देती है।)
i. Economic Contribution (आर्थिक योगदान):-
Agricultural GDP (कृषि जीडीपी):- Livestock contributes around 4-5% to India’s total GDP and approximately 25% to the agricultural GDP. This sector is a major component of the agricultural economy and provides a steady source of income to millions of rural households.
(पशुधन का भारत के कुल जीडीपी में लगभग 4-5% और कृषि जीडीपी में लगभग 25% योगदान है। यह क्षेत्र कृषि अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख घटक है और लाखों ग्रामीण परिवारों के लिए आय का एक स्थिर स्रोत प्रदान करता है।)
Employment Generation (रोजगार सृजन):- The livestock sector provides employment to about 8% of the population. It supports the livelihoods of around 70 million rural households, especially landless and small farmers who depend on animal husbandry as a primary or supplementary income source.
(पशुधन क्षेत्र में लगभग 8% आबादी को रोजगार मिलता है। यह क्षेत्र लगभग 7 करोड़ ग्रामीण परिवारों के आजीविका का समर्थन करता है, विशेष रूप से उन भूमिहीन और छोटे किसानों के लिए जो पशुपालन पर अपनी मुख्य या सहायक आय के स्रोत के रूप में निर्भर हैं।)
ii. Livestock Composition (पशुधन संघटन):-
Cattle and Buffaloes (गाय और भैंस):- India has the largest population of cattle and buffaloes in the world. These animals are integral to dairy farming, which is a significant part of the livestock economy. India is the largest producer of milk globally, and this sector contributes to the nutritional security of the nation.
(भारत में दुनिया की सबसे बड़ी गाय और भैंस की आबादी है। ये जानवर डेयरी उद्योग के लिए आवश्यक हैं, जो पशुधन अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। भारत दुनिया में सबसे बड़ा दूध उत्पादक है, और यह क्षेत्र देश की पोषण सुरक्षा में योगदान देता है।)
Sheep and Goats (भेड़ और बकरी):- These animals are crucial in arid and semi-arid regions where agriculture is challenging. They provide meat, wool, and skin, and are vital for the livelihood of marginal farmers and landless laborers.
(ये जानवर शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में महत्वपूर्ण हैं, जहाँ कृषि चुनौतीपूर्ण होती है। वे मांस, ऊन और चमड़ा प्रदान करते हैं और सीमांत किसानों और भूमिहीन श्रमिकों की आजीविका के लिए महत्वपूर्ण हैं।)
iii. Dairy Industry (डेयरी उध्योग):-
Milk Production (दूध उत्पादन):- The dairy sector is a cornerstone of India’s livestock economy. India produces over 210 million metric tons of milk annually, making it the largest producer globally. The dairy industry is vital for the nutrition of the population, especially in rural areas, and supports millions of dairy farmers.
(डेयरी क्षेत्र भारत की पशुधन अर्थव्यवस्था की आधारशिला है। भारत सालाना 210 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक दूध का उत्पादन करता है, जिससे यह दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक है। डेयरी उद्योग पोषण के लिए महत्वपूर्ण है और लाखों डेयरी किसानों को समर्थन देता है।)
Cooperatives (सहायक संगठन):- Organizations like Amul have revolutionized the dairy sector through cooperative models, ensuring better prices for farmers and providing a sustainable livelihood. The White Revolution (Operation Flood) was a significant milestone in increasing milk production and self-sufficiency.
[अमूल जैसी संस्थाओं ने सहकारी मॉडल के माध्यम से डेयरी क्षेत्र में क्रांति ला दी है, जिससे किसानों को बेहतर कीमतें मिलती हैं और उन्हें एक स्थायी आजीविका मिलती है। श्वेत क्रांति (ऑपरेशन फ्लड) दूध उत्पादन और आत्मनिर्भरता बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था।]
iv. Food Security and Nutrition (खाद्य सुरक्षा और पोषण):-
Protein Source (प्रोटीन स्रोत):- Livestock products such as milk an meat are critical sources of high-quality protein and other essential nutrients. They play a vital role in addressing malnutrition and food security issues, particularly in rural areas.
(पशुधन उत्पाद जैसे दूध और मांस उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन और अन्य आवश्यक पोषक तत्वों के महत्वपूर्ण स्रोत हैं। वे कुपोषण और खाद्य सुरक्षा के मुद्दों को हल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में।)
Dietary Contribution (आहार योगदान):- In India, milk and dairy products are significant in the daily diet. The availability of affordable livestock products helps in improving the nutritional status of the population.
(भारत में, दूध और डेयरी उत्पाद दैनिक आहार में महत्वपूर्ण हैं। सस्ते पशुधन उत्पादों की उपलब्धता से जनसंख्या की पोषण स्थिति में सुधार होता है।)
v. Agricultural Support (कृषि समर्थन):-
Draught Power (परिश्रम शक्ति):- In many parts of rural India, cattle are used for plowing fields, especially where mechanization is not feasible. Bullocks are still a major source of draught power for small and marginal farmers.
(भारत के कई ग्रामीण हिस्सों में, जहाँ मशीनीकरण संभव नहीं है, बैल खेतों में हल चलाने के लिए उपयोग किए जाते हैं। छोटे और सीमांत किसानों के लिए बैल अभी भी एक प्रमुख परिश्रम शक्ति का स्रोत हैं।)
Manure (खाद):- Livestock provides manure, which is an essential organic fertilizer in traditional farming systems. Manure improves soil fertility and is also used as fuel in rural households.
(पशुधन जैविक खाद का एक महत्वपूर्ण स्रोत प्रदान करता है, जो पारंपरिक कृषि प्रणालियों में आवश्यक है। खाद मिट्टी की उर्वरता में सुधार करती है और ग्रामीण परिवारों में ईंधन के रूप में भी उपयोग की जाती है।)
vi. Rural Economy and Poverty Alleviation (ग्रामीण अर्थव्यवस्था और गरीबी उन्मूलन):-
Income Stability (आय स्थिरता):- Livestock serves as a financial asset and provides a buffer against crop failures due to its continuous production cycle. It acts as a form of insurance and can be sold during emergencies, offering financial security to rural households.
(पशुधन एक वित्तीय संपत्ति के रूप में कार्य करता है और इसकी निरंतर उत्पादन चक्र के कारण फसल विफलताओं के खिलाफ एक सुरक्षा प्रदान करता है। यह एक प्रकार का बीमा है और आपात स्थितियों में बेचा जा सकता है, जिससे ग्रामीण परिवारों को वित्तीय सुरक्षा मिलती है।)
Poverty Reduction (गरीबी उन्मूलन):- The sector has a significant role in poverty alleviation. By providing continuous income and employment, livestock farming helps in reducing poverty levels, particularly in rural areas.
(यह क्षेत्र गरीबी उन्मूलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। निरंतर आय और रोजगार प्रदान करके, पशुधन पालन ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी स्तर को कम करने में मदद करता है।)
vii. Challenges in the Livestock Sector (पशुधन क्षेत्र की चुनौतियाँ):-
Health and Disease Management (स्वास्थ्य और रोग प्रबंधन):- Diseases such as Foot and Mouth Disease (FMD) and avian influenza pose significant risks to livestock. Effective disease management and veterinary services are critical for sustaining the sector’s productivity.
[खुरपका और मुंहपका रोग (FMD) और एवियन इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारियाँ पशुधन के लिए महत्वपूर्ण खतरे पैदा करती हैं। उत्पादकता बनाए रखने के लिए प्रभावी रोग प्रबंधन और पशु चिकित्सा सेवाएँ महत्वपूर्ण हैं।]
Feed and Fodder (चारा और आहार):- There is a shortage of quality feed and fodder, which affects the productivity of livestock. Ensuring the availability of nutritious feed is essential for improving milk yield and overall livestock health.
(गुणवत्ता वाले चारे और आहार की कमी है, जो पशुधन की उत्पादकता को प्रभावित करती है। दूध उत्पादन और समग्र पशुधन स्वास्थ्य में सुधार के लिए पौष्टिक चारे की उपलब्धता सुनिश्चित करना आवश्यक है।)
Climate Change (जलवायु परिवर्तन):- The sector is vulnerable to climate change, which affects the availability of fodder, water resources, and the health of animals. Developing climate-resilient practices is necessary for sustaining livestock farming.
(यह क्षेत्र जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील है, जो चारे, जल संसाधनों की उपलब्धता और जानवरों के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। पशुधन पालन को बनाए रखने के लिए जलवायु-लचीली प्रथाओं का विकास आवश्यक है।)
viii. Government Initiatives (सरकारी पहल):-
National Livestock Mission (राष्ट्रीय पशुधन मिशन) (NLM):- Launched to ensure quantitative and qualitative improvement in livestock production systems and capacity building of all stakeholders.
(पशुधन उत्पादन प्रणालियों में मात्रात्मक और गुणात्मक सुधार और सभी हितधारकों की क्षमता निर्माण सुनिश्चित करने के लिए शुरू किया गया।)
Rashtriya Gokul Mission (राष्ट्रीय गोकुल मिशन):- Focuses on the conservation and development of indigenous breeds of cattle.
(गायों की देशी नस्लों के संरक्षण और विकास पर केंद्रित है।)
Dairy Development Schemes (डेयरी विकास योजनाएँ):- Initiatives like the National Programme for Dairy Development (NPDD) and Dairy Entrepreneurship Development Scheme (DEDS) aim to enhance milk production, improve infrastructure, and promote entrepreneurship in the dairy sector.
[राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (NPDD) और डेयरी उद्यमिता विकास योजना (DEDS) जैसी पहल दूध उत्पादन बढ़ाने, बुनियादी ढाँचे में सुधार और डेयरी क्षेत्र में उद्यमिता को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखती हैं।]
ix. Future Prospects (भविष्य की संभावनाएँ):-
Technological Integration (प्रौध्योगिकी एकीकरण):- The adoption of advanced technologies in breeding, veterinary care, and feed management can significantly boost productivity and sustainability in the livestock sector.
(प्रजनन, पशु चिकित्सा देखभाल और आहार प्रबंधन में उन्नत प्रौध्योगिकियों को अपनाने से पशुधन क्षेत्र की उत्पादकता और स्थिरता में काफी वृद्धि हो सकती है।)
Value Addition (मूल्य वर्धन):- Developing value-added products like cheese, yogurt, and processed meats can enhance the profitability of the sector and open new markets.
(पनीर, दही और प्रसंस्कृत मांस जैसे मूल्य संवर्धित उत्पादों का विकास क्षेत्र की लाभप्रदता बढ़ा सकता है और नए बाजारों को खोल सकता है।)
Conclusion (निष्कर्ष):- In conclusion, livestock is integral to India’s rural economy, food security, and agricultural sustainability. With appropriate policy support, technological advancements, and market access, the sector has the potential to drive significant economic growth and improve the livelihoods of millions of rural households.
(संक्षेप में, पशुधन भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था, खाद्य सुरक्षा और कृषि स्थिरता के लिए अनिवार्य है। उचित नीतिगत समर्थन, तकनीकी प्रगति और बाजार तक पहुँच के साथ, इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और लाखों ग्रामीण परिवारों की आजीविका में सुधार करने की क्षमता है।)
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