War Minus Shooting- The sporting Spirit
War Minus Shooting- The sporting Spirit (वार माइनस शूटिंग- द स्पोर्टिंग स्पिरिट):- "War Minus Shooting: The Sporting Spirit" is an essay by George Orwell, originally published in the anthology "Inside the Whale and Other Essays" in 1940. Orwell discusses the nature of international sports and their role in fostering nationalism and political tension. Here are the key points in detail:
("वार माइनस शूटिंग: द स्पोर्टिंग स्पिरिट" जॉर्ज ऑरवेल द्वारा लिखित एक निबंध है, जो मूल रूप से 1940 में "इनसाइड द व्हेल एंड अदर एस्सेज़" संकलन में प्रकाशित हुआ था। ऑरवेल अंतर्राष्ट्रीय खेलों की प्रकृति और उनके राष्ट्रवाद और राजनीतिक तनाव को बढ़ावा देने में उनकी भूमिका पर चर्चा करते हैं। यहाँ प्रमुख बिंदुओं का विस्तार से वर्णन किया गया है:)
1. Nationalism and Sports (राष्ट्रवाद और खेल):- Orwell argues that international sports are often a vehicle for nationalism, where countries compete not just to win but to assert their superiority over others. This can turn sports into a form of war minus the shooting, where the animosity and rivalries between nations are played out on the sports field.
(ऑरवेल तर्क करते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय खेल अक्सर राष्ट्रवाद का एक साधन होते हैं, जहां देश केवल जीतने के लिए नहीं बल्कि दूसरों पर अपनी श्रेष्ठता साबित करने के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं। इससे खेल युद्ध के रूप में बदल सकते हैं, जहाँ देशों के बीच की दुश्मनी और प्रतिद्वंद्विता खेल के मैदान पर खेली जाती है।)
2. The Role of Sports (खेल की भूमिका):- He critiques the idea that sports foster international understanding and goodwill. Instead, he posits that the competitive nature of sports exacerbates tensions and creates hostility between nations. The intense emotions and tribal loyalties can lead to unsportsmanlike behavior and violence.
(वह इस विचार की आलोचना करते हैं कि खेल अंतर्राष्ट्रीय समझ और सद्भावना को बढ़ावा देते हैं। इसके बजाय, वे कहते हैं कि खेलों की प्रतिस्पर्धात्मक प्रकृति तनावों को बढ़ाती है और देशों के बीच दुश्मनी पैदा करती है। तीव्र भावनाएँ और जनजातीय निष्ठाएं असभ्य व्यवहार और हिंसा की ओर ले जा सकती हैं।)
3. Historical Context (ऐतिहासिक संदर्भ):- Orwell refers to specific historical examples to support his argument. He mentions the 1936 Berlin Olympics, which were used by Nazi Germany as a propaganda tool, and the animosity seen in matches between the British and German football teams. These instances illustrate how sports can be manipulated for political purposes.
(ऑरवेल अपने तर्क का समर्थन करने के लिए विशिष्ट ऐतिहासिक उदाहरणों का हवाला देते हैं। वे 1936 के बर्लिन ओलंपिक का उल्लेख करते हैं, जिसका उपयोग नाजी जर्मनी ने प्रचार उपकरण के रूप में किया था, और ब्रिटिश और जर्मन फुटबॉल टीमों के बीच मैचों में देखी गई दुश्मनी का भी उल्लेख करते हैं। ये उदाहरण दिखाते हैं कि कैसे खेलों का राजनीतिक उद्देश्यों के लिए दुरुपयोग किया जा सकता है।)
4. Personal Observations (व्यक्तिगत अवलोकन):- Drawing from his own experiences, Orwell notes the aggressive and confrontational atmosphere in international sporting events. He reflects on the behavior of fans and players, highlighting the negative aspects of competitive sports.
(अपने खुद के अनुभवों से, ऑरवेल अंतर्राष्ट्रीय खेल आयोजनों में आक्रामक और टकरावपूर्ण वातावरण को नोट करते हैं। वे प्रशंसकों और खिलाड़ियों के व्यवहार पर विचार करते हैं, और प्रतिस्पर्धी खेलों के नकारात्मक पहलुओं को उजागर करते हैं।)
5. The Paradox of Sportsmanship (खेल भावना का विरोधाभास):- Orwell acknowledges that while sports are meant to embody ideals of fair play and sportsmanship, the reality often falls short. The drive to win at any cost can overshadow the principles of integrity and mutual respect.
(ऑरवेल यह स्वीकार करते हैं कि जबकि खेलों का उद्देश्य निष्पक्ष खेल और खेल भावना के आदर्शों को मूर्त रूप देना होता है, वास्तविकता अक्सर इससे कम होती है। किसी भी कीमत पर जीतने की प्रवृत्ति ईमानदारी और पारस्परिक सम्मान के सिद्धांतों को पीछे छोड़ सकती है।)
6. Psychological Impact (मनोवैज्ञानिक प्रभाव):- The essay also explores the psychological impact of sports on both participants and spectators. Orwell argues that the emotional investment in national teams can lead to irrational and extreme reactions, further fueling nationalistic fervor.
(निबंध खेलों के प्रतिभागियों और दर्शकों दोनों पर मनोवैज्ञानिक प्रभावों का भी पता लगाता है। ऑरवेल का तर्क है कि राष्ट्रीय टीमों में भावनात्मक निवेश तर्कहीन और चरम प्रतिक्रियाओं को जन्म दे सकता है, जिससे राष्ट्रवादी उन्माद और बढ़ सकता है।)
Conclusion (निष्कर्ष):- In summary, Orwell's "War Minus Shooting: The Sporting Spirit" presents a critical view of international sports, challenging the notion that they promote peace and understanding. Instead, he suggests that sports often serve as a proxy for conflict and competition between nations, with potentially harmful consequences.
(सारांश में, ऑरवेल का "वार माइनस शूटिंग: द स्पोर्टिंग स्पिरिट" अंतर्राष्ट्रीय खेलों का एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है, जो इस धारणा को चुनौती देता है कि वे शांति और समझ को बढ़ावा देते हैं। इसके बजाय, वे सुझाव देते हैं कि खेल अक्सर देशों के बीच संघर्ष और प्रतिस्पर्धा का एक साधन होते हैं, जिसके संभावित हानिकारक परिणाम हो सकते हैं।)
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